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शाबान मुबारक की नूरानी रातें

शाबान मुबारक की नुरानी रातें शाबान :   हुजूर ए अकरम सल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि -शाबान की 15वी रात को अल्लाह पाक अपनी रहमत  के  बेसुमार दरवाजे अपने बन्दों के लिए खोल देता है और इस रात इबादत करने वाले पर दोजख हराम कर देता है |  रसूल अल्लाह शलल्लाह अलैही वसल्लम ने इरसाद फरमाया कि  इस माह में जो तीन हजार मर्तबह दुरूद शरीफ पढ़कर मुझे बख्शेगा बरोज ए हस्र उसकी सफाअत मुझ पर वाजिब हो जायेगी| इस माह की 15 तारीख को आफताब गुरूब होते वक्त बा वजू 40 मर्तबह " ला हौला वला कुवता इल्ला बिल्लाहि अलियिल अज़ीम" पढ़े 40 साल के गुनाह माफ़ होंगे | इस माह की 15वी रात दो रकाअत नमाज़ , हर रकआत में सूरह फातिहा के बाद "आयतल कुर्सी " एक बार,  सूरह "इखलास" 15 बार , बाद सलाम के दुरूद शरीफ 100 मर्तबह पढ़कर तरक्की रिज्क की दुआ कीजिए| इंसाअल्लाह तआला रिज्क में तरक्की होगी | 15वी रात में वास्ते मगफिरत व बख्शिस , आठ रकआत नमाज चार सलाम से, हर रकआत में सूरह फातिहा के बाद सूरह कदर एक बार , सूरह अख्लाश 25 मर्तबह पढ़े | 15वी रात  को सूरह बकर का आखिरी रुकू "आमनररसूल से काफिरून
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